बढ़ती उम्र के साथ आंखों की रोशनी कम होने से थोड़ी मुश्किलें तो बढ़ती हैं पर हम चश्मे की मदद से अपनी दिनचर्या को सामान बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। लेकिन अगर समय से पहले आंखों की रोशनी का कम होना हमारी लाइफस्टाइल और मेडिकल कंडीशन पर भी निर्भर करता है। ऐसे तो बहुत सारी वजह हैं जिनसे आखों की रोशनी कम होती है पर हम इसके 6 मुख्य कारण से आपको अवगत करा रहे हैं।
1. दिनभर स्क्रीन के सामने बैठना- आधी से ज्यादा आबादी दिनभर में 7 से 8 घंटे स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रोनिक गैजेट के सामने बिता देते हैं। जिसका दुष्परिणाम डीईएस (डिजिटल आई स्ट्रेन) है, इससे आंखों में थकान के साथ धुंधला दिखने लगता है। मुसीबत की बात ये है कि इस दौरान हम अपनी पलकें 70 प्रतिशत कम झपकाते हैं। और नतीजतन आंखें ड्राई होने के साथ थकान से भर जाती हैं। डीईएस के इलाज के लिए आपको सिंपल फॉर्मूला 20:20:20 अपनाना होगा। हर 20 मिनट के अंतराल पर आंखें बंद करें या फिर 20 फुट की दूरी पर 20 सेकेंड तक लगातार देखने से भी आपकी आंखों को आराम मिलेगा।
2. देर तक कांटैक्ट लेंस का प्रयोग- ज्यादा देर तक कांटैक्ट लेंस का प्रयोग करने से आंखों में गंदगी, म्यूकस, प्रोटीन और मिनरल्स जमा होने लगते हैं। जिसकी वजह से धुंधलापन होता है और आंखों में ड्राईनेस हो जाता है। लेकिन अगर आपको चश्मे से सब साफ दिख रहा है तो इसका मतलब है कि आपके कांटैक्ट लेंस गंदे हो चुके हैं। कोशिश करें कि लेंस को रोजाना साफ करें या फिर जैसा आपके लेंस की बॉक्स पर उन निर्देशों का पालन करें।
3. आपकी कॉर्निया में स्क्रैच- कई बार ऐसा होता है कि हमारी आंखों को हम मलते हैं जिससे सामने की सतह में स्क्रैच आ जाती है। हमें धुंधला दिखने लगता हैं और आंखें लाल हो जाती हैं। साथ ही आंखों में चुभन होने लगती है जो हमें बेहद परेशान करती है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह ले ताकि वो आपको एंटीबॉयोटिक आई ड्रॉप्स दें जिससे इंफेक्शन खत्म हो जाएं और आपको राहत मिले।
4. गर्भाधारण के दौरान- सामान्यता महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान धुंधलापन की शिकायत होती है और दो दिखने की बीमारी भी शुरू हो जाती है। पर घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है, ये सिर्फ शरीर में हॉर्मोनल बदलाव की वजह से होता है। कभी-कभी ये समस्या गंभीर भी हो जाती है और डिलिवरी के ठीक बाद महिलाओं को नजदीक या दूर का चश्मा भी लग जाता है। गर्भवती महिलाओं को आंखों में ड्राईनेस की भी शिकायत होती है जिससे कांटैक्ट लेंस का प्रयोग करना कंफर्टेबल नहीं होता है।
5. ऐन्टीहिस्टमीन, हताशारोधी या ब्लड प्रेशर की गोली का सेवन- महिलाएं ज्यादातर ड्राई आंखों से ग्रसित रहती हैं। डॉयबिटीज और अर्थराइटीज में आंखों की रोशनी कम होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको आंखों में जलन और पानी आने की समस्या हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
6. ग्लूकोमा- ये सच है कि ग्लूकोमा ज्यादातर 50 या 60 साल के बाद ही होता है पर हमारी जेनेरेशन में ग्लूकोमा बचपन से बुढ़ापे के बीच में कभी भी हो सकता है। आंखों से पानी बहने की समस्या से आंखों के अंदर प्रेशर बढ़ जाता है जिससे ऑप्टिक नर्व डैमेज हो सकता है। इसलिए हर 2 साल पर आंखों का चेकअप जरूर कराएं।
1. दिनभर स्क्रीन के सामने बैठना- आधी से ज्यादा आबादी दिनभर में 7 से 8 घंटे स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रोनिक गैजेट के सामने बिता देते हैं। जिसका दुष्परिणाम डीईएस (डिजिटल आई स्ट्रेन) है, इससे आंखों में थकान के साथ धुंधला दिखने लगता है। मुसीबत की बात ये है कि इस दौरान हम अपनी पलकें 70 प्रतिशत कम झपकाते हैं। और नतीजतन आंखें ड्राई होने के साथ थकान से भर जाती हैं। डीईएस के इलाज के लिए आपको सिंपल फॉर्मूला 20:20:20 अपनाना होगा। हर 20 मिनट के अंतराल पर आंखें बंद करें या फिर 20 फुट की दूरी पर 20 सेकेंड तक लगातार देखने से भी आपकी आंखों को आराम मिलेगा।
2. देर तक कांटैक्ट लेंस का प्रयोग- ज्यादा देर तक कांटैक्ट लेंस का प्रयोग करने से आंखों में गंदगी, म्यूकस, प्रोटीन और मिनरल्स जमा होने लगते हैं। जिसकी वजह से धुंधलापन होता है और आंखों में ड्राईनेस हो जाता है। लेकिन अगर आपको चश्मे से सब साफ दिख रहा है तो इसका मतलब है कि आपके कांटैक्ट लेंस गंदे हो चुके हैं। कोशिश करें कि लेंस को रोजाना साफ करें या फिर जैसा आपके लेंस की बॉक्स पर उन निर्देशों का पालन करें।
3. आपकी कॉर्निया में स्क्रैच- कई बार ऐसा होता है कि हमारी आंखों को हम मलते हैं जिससे सामने की सतह में स्क्रैच आ जाती है। हमें धुंधला दिखने लगता हैं और आंखें लाल हो जाती हैं। साथ ही आंखों में चुभन होने लगती है जो हमें बेहद परेशान करती है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह ले ताकि वो आपको एंटीबॉयोटिक आई ड्रॉप्स दें जिससे इंफेक्शन खत्म हो जाएं और आपको राहत मिले।
4. गर्भाधारण के दौरान- सामान्यता महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान धुंधलापन की शिकायत होती है और दो दिखने की बीमारी भी शुरू हो जाती है। पर घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है, ये सिर्फ शरीर में हॉर्मोनल बदलाव की वजह से होता है। कभी-कभी ये समस्या गंभीर भी हो जाती है और डिलिवरी के ठीक बाद महिलाओं को नजदीक या दूर का चश्मा भी लग जाता है। गर्भवती महिलाओं को आंखों में ड्राईनेस की भी शिकायत होती है जिससे कांटैक्ट लेंस का प्रयोग करना कंफर्टेबल नहीं होता है।
5. ऐन्टीहिस्टमीन, हताशारोधी या ब्लड प्रेशर की गोली का सेवन- महिलाएं ज्यादातर ड्राई आंखों से ग्रसित रहती हैं। डॉयबिटीज और अर्थराइटीज में आंखों की रोशनी कम होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको आंखों में जलन और पानी आने की समस्या हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
6. ग्लूकोमा- ये सच है कि ग्लूकोमा ज्यादातर 50 या 60 साल के बाद ही होता है पर हमारी जेनेरेशन में ग्लूकोमा बचपन से बुढ़ापे के बीच में कभी भी हो सकता है। आंखों से पानी बहने की समस्या से आंखों के अंदर प्रेशर बढ़ जाता है जिससे ऑप्टिक नर्व डैमेज हो सकता है। इसलिए हर 2 साल पर आंखों का चेकअप जरूर कराएं।
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